इन आरोग्य केंद्रों में आयुर्वेद के साथ यूनानी, सिद्घा और होमियोपैथी का उपचार मिल सकेगा. वहीं सूत्रों की मानें तो किडनी और मधुमेह के रोगियों को निशुल्क उपचार मिलेगा.
अब किडनी की बीमारी और डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को अस्पतालों में भटकना नहीं पड़ेगा. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि केंद्र सरकार ने अब आयुष मंत्रालय के आरोग्य केंद्रों की स्थापना पर काम तेज कर दिया है.
मिली जानकारी के अनुसार, पिछले चार वर्षों में 1185 आरोग्य केंद्रों की स्थापना को मंजूरी भी दी है. इस साल की बात करें तो अभी तक 214 आरोग्य केंद्र विभिन्न राज्यों में खोले जाने के निर्देश दिए हैं. इनमें भी सर्वाधिक उत्तर प्रदेश को 50 केंद्रों की इजाजत मिली है.
इन आरोग्य केंद्रों में आयुर्वेद के साथ यूनानी, सिद्घा और होमियोपैथी का उपचार मिल सकेगा. वहीं सूत्रों की मानें तो किडनी और मधुमेह के रोगियों को निशुल्क उपचार मिलेगा.
गौरतलब है कि देश में हर साल किडनी और डायबिटीज के रोगियों की संख्या बढती जा रही है. जिसे देखते हुए आयुष मंत्रालय ने डीआरडीओ और सीएसआईआर के शोधों पर अनुमति दी थी. इसके बाद किडनी डायलिसिस के लिए नीरी केएफ्टी और मधुमेह के लिए बीजीआर-34 दवाएं बनाईं गईं.
हिमाचल की औषधियों पर शोध से तैयार हुई दवा...
एमिल फॉर्मास्यूटिकल की निगरानी में हिमाचल की औषधियों पर शोध के बाद तैयार इन दवाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को देने की तैयारी है. इसके अलावा यहां पंचकर्म का भी लाभ मिल सकेगा.
इस बारे में मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2014-15 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय आयुष मिशन को शुरु करते हुए विभिन्न राज्यों में आरोग्य केंद्रों की स्थापना का फैसला लिया था. तब से लेकर अब तक 1185 केंद्रों को मंजूरी मिल चुकी है.
यहां आयुर्वेद, यूनानी, योग और होमियोपैथी का उपचार मिल सकेगा. चूंकि स्वास्थ्य राज्य का विषय है. इसलिए इन केंद्रों को संचालित करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की तय की है. उन्होंने बताया कि केंद्र की ओर से इन राज्यों को आरोग्य केंद्र की स्थापना के लिए सहायता दी गई है.