News

“वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की दो प्रयोगशालाओं ने साझा प्रयास के तहत इस वैज्ञानिक हर्बल दवा को विकसित किया

नई दिल्ली। केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपाद नाईक ने मंगलवार को राज्य सभा में बताया कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) ने मधुमेह (डायबिटीज) के टाइप-2 मरीजों के लिए वैज्ञानिक तरीके से एक दवा विकसित की है जिसे बीजीआर- 34 के नाम से बाजार में उपलब्ध करवाया जा रहा है। टाइप-2 डायबिटीज के मरीज इंसुलिन के इंजेक्शन पर निर्भर नहीं होते।

नाईक ने यह बात राज्य सभा सांसद झरना दास बैद्य के सवाल के संसद में लिखित जवाब में बताई है। नाईक ने कहा, “वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की दो प्रयोगशालाओं ने साझा प्रयास के तहत इस वैज्ञानिक हर्बल दवा विकसित की है। ये प्रयोगशालाएं हैं- सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स (सीआईएमएपी) और नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई)। ये दोनों ही संस्थान लखनऊ स्थित हैं। इन्होंने हाइपोग्लाइसेमिक नुस्खा एनबीआरएमएपी-डीबी तैयार किया। इसका व्यावसायिक लाइसेंस एमिल फार्मा लिमिटिड दिल्ली को दिया गया। यही कंपनी अब इसका निर्माण और वितरण कर रही है।”

बीजीआर-34 को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एनबीआरआई, लखनऊ के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक एकेएस रावत ने कहा कि मधुमेह की इस हर्बदल दवा के बारे में मंत्री का वक्तव्य टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों की तकलीफ को कम करने के लिहाज से इस दवा को मिली कामयाबी पर उनके विश्वास को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि जहां टाइप-2 डायबिटीज वयस्कों में सामान्यतः उनकी जीवनशैली की वजह से होता है, टाइप-1 डायबिटीज अनुवांशिक होता है।

रावत ने कहा कि आयुर्वेद में वर्णित 500 तरह की जड़ी-बूटियों पर गहन अध्ययन और शोध के बाद अंततः छह सर्वश्रेष्ठ का चयन किया गया। आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में वर्णित दारूहरिद्रा, गिलोय, विजयसार और गुड़मार आदि का चयन मधुमेह के इलाज में इनके प्रभाव को देखते हुए किया गया है। रावत ने कहा इसका एक अहम अवयव इंसुलिन डीपीपी-4 (डिपेप्टीडायल पेप्टीडेस- 4) के स्राव को रोकता है।

उनके मुताबिक, “डायबिटीज के पुराने और गंभीर मामलों में इसका उपयोग मुख्य इलाज के साथ एडजंक्ट थेरेपी यानी सहयोगी चिकित्सा के लिए किया जा सकता है क्योंकि इसे लीवर और किडनी के लिए अनुकूल प्रभाव पैदा करने वाला और साथ ही वसा असंतुलन को रोकने वाला पाया गया है।”

इन दिनों लोगों की बदलती जीवनशैली और खान-पान की आदतों को देखते हुए अनुमान किया जा रहा है कि वर्ष 2030 तक भारत में लगभग 9.8 करोड़ लोग टाइप-2 डायबिटीज का शिकार हो चुके होंगे। भारत में इसके मरीजों की मौजूदा अनुमानित संख्या 7.29 करोड़ है।

देश भर में लगातार बढ़ रहे डायबिटीज के मामलों को देखते हुए मोदी सरकार ने 2016 में ‘मिशन मधुमेह’ शुरू किया था ताकि जीवनशैली से संबंधित इस बीमारी पर अंकुश लगाया जा सके। इस मिशन के तहत ‘डायबिटीज के आयुर्वेद के माध्यम से बचाव और नियंत्रण’ के लिए मसविदा तैयार किया जा रहा है।

Click here for News source

Information on this website is provided for informational purposes and is not meant to substitute for the advice provided by your own physician or other medical professionals. This website is meant for use by Indian residents only.