बीजीआर-34, नीरी केएफ्टी, ल्यूकोस्किन और आयुष-82 जैसी सफल दवाओं की तरह सरकार आयुर्वेद में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए आयुष और स्वास्थ्य के बजट में बढ़ोत्तरी कर सकती है। इसके अलावा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) और हेल्थ एंड फैमिली वेलनेस सेंटरों की स्थापना पर भी मोदी सरकार-2 के पहले बजट में फोकस रहेगा। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार कुल जीडीपी के ढाई फीसदी के बराबर स्वास्थ्य बजट करने की दिशा में काम कर रही है। उम्मीद है कि आज बजट में स्वास्थ्य को तरजीह दी जा सकती है।
लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी में पेश अंतरिम बजट में सरकार ने 61,398 करोड़ रुपये का स्वास्थ्य बजट रखा था जो कि वित्तीय वर्ष 2018-19 की तुलना में करीब 16 फीसदी ज्यादा था। इसमें 55 करोड़ लोगों को पांच लाख रुपये सालाना स्वास्थ्य बीमा देने वाली आयुष्मान भारत योजना को 6400 करोड़ रुपये दिए गए थे। जबकि इससे पिछले बजट में यह राशि 2400 करोड़ रुपये थी। इसी तरह आयुष मंत्रालय को करीब 1800 करोड़ रुपये दिए गए थे।
बताया जा रहा है कि आयुष्मान भारत योजना को लागू हुए एक वर्ष पूरा होने वाला है। ऐसे में इस योजना के तहत आने वाले करीब 1300 से ज्यादा पैकेज की कीमतों को बढ़ाने की दिशा में सरकार विचार कर रही है। इतना ही नहीं इम्प्लांट, कैंसर दवाएं, जनऔषधि इत्यादि को लेकर भी सरकार बड़ी राहत देश की जनता को दे सकती है। वहीं हाल ही में चमकी बुखार के बाद सामने आई बिहार की कमजोर चिकित्सीय व्यवस्था को लेकर भी सरकार करीब 100 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद कर सकती है। इसके अलावा 100 बेड के अस्पताल में बाल रोगियों के लिए अलग से आईसीयू व्यवस्था की जा सकती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो वर्ष 2014 में मोदी सरकार आने के बाद से हर वर्ष स्वास्थ्य के बजट में बढ़ोत्तरी हो रही है। बताया जा रहा है कि मंत्रालय की ओर से इस बार नई स्वास्थ्य योजनाओं के करीब 2 हजार करोड़ रुपये की मांग की गई है। जबकि दिल्ली एम्स, सफदरजंग और आरएमएल जैसे अस्पतालों के बजट में बड़ा बदलाव होने की उम्मीद नहीं है। इतना ही नहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए भी बजट में बढ़ोत्तरी संभव है।
आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, पिछले कुछ वर्षों में आयुष को लेकर देशभर में काफी योजनाएं संचालित हुई हैं। इसके अलावा कई आयुष चिकित्सीय संस्थान भी स्थापित हुए हैं। मंत्रालय की ओर से योग व आयुष के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देने, नई नई दवाओं को लोगों तक पहुंचाने पर जोर दिया जा सकता है।