देश में आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने हाल ही में तीन बड़े फैसले लिए हैं। सरकार ने किडनी और मधुमेह जैसी बीमारियों से परेशान मरीजों को राहत देते हुए आरोग्य केंद्रों की स्थापना पर काम तेज कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले चार वर्षों में 1185 आरोग्य केंद्रों की स्थापना को मंजूरी दी है। वहीं आयुष मंत्रालय ने अगले दो वर्षों के लिए किसी भी आयुर्वेद, यूनानी और होमियोपैथी शैक्षणिक संस्थान के लिए नए आवेदन नहीं लेने का फैसला किया है।मंत्रालय की मानें तो अभी तक उनके पास पहले से ही कई कॉलेजों के आवेदन लंबित हैं। इसके अलावा देश की राजधानी में मंत्रालय ने राष्ट्रीय होमियोपैथी संस्थान की स्थापना की मंजूरी दी है। ये संस्थान वर्ष 2020 तक दिल्ली के नरेला में बनाया जाएगा।
दरअसल देश में हर साल बढ़ रहे किडनी और मधुमेह रोगियों की संख्या को देखते हुए कुछ समय पहले आयुष मंत्रालय ने डीआरडीओ और सीएसआईआर के शोध किडनी के लिए नीरी केएफ्टी और मधुमेह के लिए बीजीआर-34 दवाएं बनाईं। एमिल फॉर्मास्यूटिकल की निगरानी में इन दवाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को देने की तैयारी है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2014-15 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय आयुष मिशन को शुरु करते हुए विभिन्न राज्यों में आरोग्य केंद्रों की स्थापना का फैसला लिया था। तब से लेकर अब तक 1185 केंद्रों को मंजूरी मिल चुकी है। उन्होंने ये भी बताया कि कोलकाता में देश का सबसे बड़ा होमियोपैथी संस्थान है। उसी के विस्तार के रुप में दिल्ली के नरेला में राष्ट्रीय होमियोपैथी संस्थान बनाने की मंजूरी दी है।
आयुष नाम का नहीं ले सकेंगे फायदा
मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो आयुष नाम के गलत इस्तेमाल को लेकर भी शिकायतें तेजी से बढने लगी हैं। इसे देखते हुए मंत्रालय ने ड्रग कंट्रोल ऑफ इंडिया को सतर्क भी किया है। साथ ही किसी भी तरह का आयुष ट्रेडमार्क मंत्रालय बर्दास्त नहीं करेगा।
आरोग्य केंद्रों की राज्यवार स्थिति
प्राप्त जानकारी के अनुसार, आयुष मंत्रालय ने केंद्र शासित सहित 36 राज्यों में वर्ष 2014 के दौरान 57, 2015 में 211, 2016 में सर्वाधिक 487, 2017 में 216 और 2018 में अभी तक 214 आरोग्य केंद्रों को मंजूरी दी है। राज्यों की बात करें तो राजस्थान (295), यूपी (150), त्रिपुरा (22), उत्तराखंड (08), पश्चिम बंगाल (03), तेलंगाना (49), तमिलनाडू (104), पंजाब (02), पांडिचेरी (05), ओड़िशा (80), नागालैंड (16), मिजोरम (28), मध्यप्रदेश (60), हरियाणा (31), हिमाचल प्रदेश (49), चंडीगढ़ (05), दिल्ली (05), जम्मू कश्मीर (30), केरल (46), असम (14), गुजरात (23), गोवा (16), अरुणांचल (06), आंध्र प्रदेश (38) और अंडमान निकोबार में 15 आरोग्य केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।
आयुष में ये राज्य पिछड़े
लोगों को आयुष उपचार देने के लिए केंद्र स्थापित करने में फिलहाल कुछ राज्यों की स्थिति ज्यादा खराब है। मंत्रालय के अनुसार मेघालय, झारखंड, लक्ष्यद्वीप में अभी तक एक-एक आरोग्य केंद्र को मंजूरी मिली है। जबकि बिहार, कर्नाटक, सिक्किम एवं दादर और नागर हवेली में एक भी केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव सरकार को नहीं मिला है।